Wednesday, July 20, 2011

क्या पता

बे बफा या बा वफ़ा है ............क्या पता
किसके दिल मे क्या छुपा है ....क्या पता

देख कर वो तोड़ देता आइना
ये भी उसकी इक अदा है ........क्या पता

मेरा है ये इक भरम जो सबको है
या की सच-मुच में खुदा है ..... क्या पता

मान लो नासेह जो कहता मगर
उसको सब कुछ ही पता है ......क्या पता

साथ जीने की कसम खाता था बो
अब बिछड़ के मर गया है ..... क्या पता


मैंने तो अपनी तरह से सच कहा
"फ़िक्र 'उसका दिल दुखा है.... क्या पता