Friday, September 30, 2011

kahani ho gaye saare


कहानी हो गये सारे कहानी जो सुनाते थे
नही जागे वो यूँ सोए.के जो मुझको सुलाते थे

सुना है लोहे का जंगला लगाया है कमेटी ने
वही मंदिर जहाँ से हम कभी पैसे चुराते थे

बिना ईदी के कैसे पूरी होगी ईद.अब मेरी
मुझे ईदी की बदले में गले अब्बू लगाते थे

हमारे दिल में जो है और जितना है समझने को
मुहब्बत थी या चूड़ी थी जिसे हम आजमाते थे

ज़ुबा से नाक गर छूँ लूँ... लगेंगे pankh phir mujhko
मुझे बचपन में भाई सब बड़ा उल्लू बनाते थे

खफा हो आसमां हमसे बला से अपनी होता हो
वो कहती थी की लाओ चाँद हम भी तोड़ लाते थे

समझ इसको न घर चिड़िया मुझे है कैद से बढ़ कर 
वोह ही घर मेरा था मेहमाँ जहाँ जाते थे आते थे

किसी का ज़िक्र आते ही हमारी आंख भर आना
तुम्हें भी याद है क्या फ़िक्र हम जिसको भुलाते थे

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Thursday, September 8, 2011

ye jo berojgaari ke din hai


रतजगे साथी अश्क़ मोहसिन हैं
ये जो बेरोज़गारी के दिन हैं

दुश्मनी से निभा रहे है सब
वैसे यारों की यारी के दिन हैं

अपनी पे आई है मेरी किस्मत
हादसे मौजजों से मुमकिन हैं

Thursday, September 1, 2011

samjho



कांच है मेरी जिंदगी समझो 
हाथ से छूटी तो गयी समझो

जिंदगी  एक  सी  नहीं  सबको 
पेश ज्यूँ आये तुम वही समझो

क्या  ज़रूरी  है, मुंहजुबानी  सब 
ख़ामोशी  भी  कभी  कभी समझो

Ishq maiN jisne bhi utaari haiN


ishq maiN jisne bhi utaari haiN
 kashtiyaan kagzoN ki saari haiN



hizr ki hoN ya vasl ki raateN
maine sab jaag kar guzaari haiN

khaar* chubhteN haiN hathoN mai ab tak
titliyaaN bachpane maiN maari haiN

subah tak zism toot jata hai
jaagti rateN kitni bhaari haiN

kaun kahtaa hai aashiqi badnaam
ye to mash'hoori'yaaN hamari hai

jasusi karta hai muaa'N meri
chaNd meiN aadteN tumhari haiN

desh baNdar sa nachy sansad mei
jo chune humne sab madaari haiN

tum na jab tak khilaoge meetha
faa'ileN daftaroN ki khaari haiN

fikr hai baap ko, yahi dar bhi
batiyaan ab talak kuNwaari haiN

Aadmi kam buraa nahi huN maiN


आदमी कम बुरा नही हूँ मैं
हां मगर बेवफा नही हूँ मैं

मेरा होना ना होने जैसा है
जल चुका हूँ, बुझा नही हूँ मैं

सूरतें सीरतों पे भारी हैं
फूल हूँ, खुशनुमा नही हूँ मैं

थोड़ा थोड़ा तो सब पे ज़ाहिर हूँ
खुद पे लेकिन खुला नही हूँ मैं

रास्ते पीछे छोड़ आया हूँ
रास्तो पर चला नही हूँ मैं

ज़िंदगी का हिसाब क्या रखुं
बिन तुम्हारे जिया नही हूँ मैं

धूप मुझ तक जो आ रही है फ़िक्र
यानी की लापता नही हूँ मैं

nahiN nahiN


  नहीँ नहीँ हमे कोई भी आपसे गिला नहीं
हम अपनो से तो आज तक हुए कभी खफा नहीं

दिया है गम भी आपने, बस अपना जान कर हमें
वगरना आजतक हमें किसी ने कुछ दिया नहीं

दुखाया दिल मज़ाक में, तो शौक में दिया है तोड़
वो जानते है इस गुनाह की कोई सज़ा नहीं

उधेड़ भी दिया था मैने अपने ज़िस्म को मगर
यूँ गुम हूँ अपने आप में, की खुद को भी मिला नही

 उतार दो सलीब से थका हुआ सा ज़िस्म FIKR
ज़माने हो गये है दो कदम भी मैं चला नही

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NahiN nahiN humeN koe bhi aapse gilaa nahiNhum apno se to aajtak huey kabhi khafa nahiN

diyaa hai gham bhi aapne, bas apna jaan kar humeN
Wa'garna aajtak hameN kisi ne kuch diyaa nahiN

dukhaaya dil majak maiN, to shouk maiN diya hai tod
wo jaante hai is gunaah ki, koee saza nahiN

udherH bhi diya tha maine apne zism ko magar
yuN gumm huN apne aap maiN, ki khud ko bhi mila nahiN

utaar do saleeb se thaka hua sa zism fikR
zamane ho gaye hai do kadam bhi maiN chala nahi

maheen resham ki dori


महीन रेशम की डोरी है ये, ना ज़ोर इस पे तुम आज़माना
जहाँ ज़रूरत हो जीतने की, बस यूँ ही करना तुम हार जाना

न देखना एक दूसरे को...... भले ही आँखों मे प्यार क्यूँ हो
जो देखना हो, वो साथ देखो बस इक तरफ ही नज़र उठाना

कभी जो जाओगे बृंदावन तो बुलाना राधा ही राधा उसको
कन्हिया जो हो कहाना खुद तो, हां कान्हा जैसे नज़र भी आना

नज़र से करना नज़र की बातें..लबों को रखना लबों की खातिर
सवाल जो हो, जवाब वो हो.. जहाँ हो जिसकी जगह बिठाना

स्याही उसकी कलम भी उसका हो 'फ़िक्र' भी और ब्यां भी उसका
उसी की बातें उसी से करना, हमें भी उसकी ग़ज़ल सुनाना