कांच है मेरी जिंदगी समझो
हाथ से छूटी तो गयी समझो
जिंदगी एक सी नहीं सबको
पेश ज्यूँ आये तुम वही समझो
क्या ज़रूरी है, मुंहजुबानी सब
तुम भली जानो या बुरी समझो
ज़िम्मेदारी का सर पे बोझा है
और खुद को बस इक कुली समझो
शेरों पर मेरे दाद देते हो
दुःख सहो मेरा बेबसी समझो
दोस्ती का यही तकाजा है
जो निभायी तो कम हुई समझो
फ़िक्र बस होश में लगे पागल
जो मगर पी ले तो वली समझो
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